हैकर्स के बारे में आम धारणा यही है के वे बुरे होते है। कंप्यूटर्स में सेंध लगाते हैं, वायरस और स्पाईवेयर तैयार करके दूसरों का डेटा चुराते हैं। कंप्यूटर हैक करते है, यहाँ तक कि पैसों के लिए लोगों के बैंक एकाउंट्स में भी सेंध लगाते हैं। हैकर्स को बिगड़ा हुआ जीनियस माना जाता है। लेकिन यह तस्वीर का केवल एक ओर का पहलू है। सच तो यह है कि हैकर्स अच्छे भी होते हैं और बुरे भी।
अच्छे हैकर्स ऑनलाइन कंप्यूटर और आईटी से जुडी समस्याओं का समाधान करते हैं। वे अपराधियों को पकड़ने में सरकार की मदद करते हैं और डेटा सुरक्षित रखने के उपाय बताते हैं। जबकि बुरे हैकर्स दूसरों के एकाउंट्स में अवैध रूप से सेंधमारी करते हैं। वायरस फैलाकर खतरा पैदा करते हैं तथा और भी अवैध कार्य करते हैं।
दुनिया भर में आपस में दुश्मनी रखने वाले देश हैकर्स की फौज कड़ी करते हैं, ताकि दुश्मन देश का डेट चुराया जा सके। कंपनियाँ अपने प्रतिद्वंदियों से निपटने और उनपर बढ़त बनाने के लिए हैकर्स रखती हैं। यहाँ तक कि आईटी कंपनियां भी इनकी सेवाऐं लेती है। यहाँ इन्हें साइबर सेक्युरिटी एक्सपर्ट या सिक्यूरिटी कॅन्सल्टेन्ट के नाम से जाना जाता है।
पूरी दुनिया में कई लोकप्रिय हैकर्स समूह हैं, जिनको उनके काम के आधार पर " व्हाइट हैट " और " ब्लैक हैट " में बांटा जाता है। हालाँकि दोनों ही तरह के हैकर्स तकनीक के जिनियस होते हैं। ये कंप्यूटर, नेटवर्क, सोशल साइट्स, स्मार्ट फ़ोन आदि का साझा इस्तेमाल करना जानते हैं। साथ ही ये विभिन्न प्रकार के कोड लिखना और तोडना जानते हैं।
व्हाइट हैट्स को सबसे अच्छा हैकर माना जाता है, हालाँकि ये भी सिक्योरिटी ब्रेक करते हैँ लेकिन उसका सही इस्तेमाल करते हैं। ये सिक्यूरिटी टेस्ट करते है और उसके लिए कोड लिखते हैं। वास्तव में हैकर शब्द इन्ही लोगों को परिभाषित करता है। लेकिन अब इन हैकर्स को एथिकल हैकर्स के नाम से जाना जाता है।
ब्लैक हैट्स को ही आमतौर पर क्रैकर्स भी कहा जाता है। ये अवैध तरीके से और खुद के फायदे के लिए काम करते हैं। कोड्स और रूल्स दोनों को ब्रेक करते हैं। नेटवर्क का इस्तेमाल करके ये " क्रेडिट कार्ड फ्रॉड", "पायरेसी", हैकिंग, वायरस फ़ैलाने और पहचान चुराने जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल रहते हैं। साथ ही अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं।
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